शक्तिमेव जयते ही यथार्थ है। अर्धसत्य को सत्य का दर्जा देना उसे ही सत्य मानना ,मनवाना एक स्वीकार्य सामाजिक व्यवहार है। अर्धसत्य और असत्य एक ही सिक्के के दो पहलू है। प्रिय सत्य असत्य को छुपाने की एक मनभावन साजिश।
सत्य का सफलता से कोई संबंध नही है। सफलता,विजय का संबंध असत्य तथा अज्ञान से है खंडित सुख से है सत्य का संबंध जिज्ञासा, प्रेम, ध्यान,खोज से है निरीक्षण, परीक्षण और अनुभवो से है उद्वविकास से है अनंत आनंद से है
सत्यमेव जयते एक मिथक है अज्ञान जगत का पाखंड है जो तथाकथित अर्थनेताओ,धर्मनेताओ तथा राजनेताओ की असत्य की अज्ञान की दुकान चलाने मे सहायक होता है
सत्य का विजय से कोई संबंध नही ,सत्य का तथाकथित धर्म[पंथ] तथा उससे जुडे कर्मकांडो से भी कोई संबंध नही है सत्य स्वयं ही धर्म है आप उसे धारण नही कर सकते, अपितु वो ही आपको धारण किये हुए है परंतु आप उसका बोध अवश्य कर सकते है क्योकि आप उस अनंत सत्य का अविभाज्य अंग है आपको उसी से उत्पन्न तथा उसी में विलीन होना है
Saturday, December 19, 2009
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