Saturday, December 26, 2009

सत्य सदा मध्य मे है एक मिथक है पाखंड है

सत्य मध्य मे है यह बहुत बडा झूठ है जो प्रायः बोला जाता है सत्य तो अनन्त है सर्वत्र व्याप्त है अनन्त जिज्ञासा के साथ सदैव पृश्नकर्ता बने रह कर उसका बोध किया जा सकता है। सत्य बोध से झूठ ,अज्ञान, का उच्छेदन किया जा सकता है सत्यबोध से, सत्य की खोज तथा परमात्मा की खोज की प्रक्रिया में उपजने वाले पाखन्ड का भी पर्दाफाश किया जा सकता है। सत्य को मध्य में ढूढ्ना दो अतिवादी पक्षो के मध्य दलाली है जो दो पक्षो के मध्य संवाद कायम करा स्वहित साधती है दो अतिवादी अंधे पक्षो के मध्य काना सम्वाद कराता है विश्व राजनीति में अमेरिका काने की भूमिका बखूबी निभा रहा है। राजनीति,धर्म तथा अर्थ के क्षेत्र एसे दलालो से भरे हुए है। सत्य को मध्य में ढूढ्ने की कवायद एसे सम्वाद को जन्म देती है जो पुनः वाद बनने के लिये अभिशप्त होता है अतः मनुष्य तथा समाज में कोई गुणात्मक परिवर्तन नही आता अपितु तथ्यात्मक परिवर्तन आता है अज्ञान के कारण मनुष्य तथा समाज उसे ही पर्याप्त समझ लेते है और अंतत: इतिहास अपने को दोहराकर सत्य को मध्य में खोजने की कवायद को निरर्थक सिद्ध कर देता है ।

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